BACPAN AUR WO YAADEN
ल ताओं पे झूले थे और फूलों से हँसना सीखे थे ! दौड़े थे हरे मैदानों में ,बहरों के साये में खेले थे ! बड़ी खुशनुमा जिंदगी थी मेरी, कभी गम भी नही झेले थे ! नदियों ,पहाड़ों से बाते किया करते थे, ना थी कोई चिंता मस्ती मी जिया करते थे ! ये यांदें है उन दिनों की , जब बचपन में हम गाँव में रहा करते थे ! - नरेन्द्र सिंह लोधी google.com