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DANGAA

आज लड़े इन्सा के दो बेटे एक हाथ जान से धो बैठा ! निर्दयी ने ली जान भाई की कैसा क्रत्य भयानक कर बैठा ! देख क्रत्य ये निर्द्यिता का चुप कोई भी फिर न बैठा ! फूंक दिए घर उजड़े बाखर हर कोई दंगा कर बैठा ! छोड़ सहजता और मानवता इंसा को फिर मजहब से बांट दिया ! तार-तार हुई मानवता इन्सा को इन्सा ने काट दिया !                                     -NARENDRA LODHI

तिरंगा

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हो होसले बुलंद जिनके उन्हें कोन झुका पायगा ! बने हो जीतने के लिए उन्हें कोन हरा पायेगा  ! जान चली जाये इस वतन की शान में , पर तीन रंगों का ये तिरंगा क़यामत तक यूँ ही लहरायगा !

उसके बिना कुछ अच्छा नही लगता...

जाने कैसे सब बदला सा है की अब कुछ अच्छा नही लगता ! कितनी प्यारी है दुनिया पर कुछ अच्छा नही  लगता ! सोचता हूँ क्यों बताऊ उसे गम , पर उससे छुपाना अच्छा नही लगता ! में गुजरा हूँ दर्द  से पर मुस्कुराता रहा हु , उसके चेहरे  पे मुझे  गम अच्छा नही लगता ! उसके हर दर्द को महसूस किया मेने , पर जाने क्यों उसे ये अच्छा नही लगता ! में करता हु प्यार उसे सब हदों से बढकर , पर सायद उसे ये सच्चा  नही लगता ! मेरी हर ख़ुशी लुटा दू उसी पर , वो रोये मुझे ये अच्छा नही लगता ! दुनिया खूबसूरत हो चाहे जितनी , उसके बिना कुछ अच्छा नही लगता !                                                                               -नरेन्द्र लोधी 

ME MERE DOST AUR ZINDGI...

एक तनहा सा लड़का तन्हाई थी बसेरा ! न कटती थी रातें , न होता था सबेरा ! फिर एक दिन वो सब छोड़ दूर आया ! जैसे जिंदगी में उसके कोई  नूर आया ! नए लोग थे सब , नए थे नज़ारे ! अनजान थे सब , नहीं थे हमारे ! पर जिंदगी को जीते जब लोगो को उसने देखा ! पलट कर नहीं फिर उसने कल को देखा ! न गम की थी लकीरे ,न तनहाइयों के पहरे ! हर दिल में थी ख़ुशी और हसते हुए थे चेहरे ! उसने भी जिंदगी अब मौज में बदल दी ! हर दबी हुई तमन्ना शौक में बदल दी ! जिंदगी को उसने नई राह अब बता दी ! हर तनहाई को उसने शहनाई से सजा दी ! जो अनजान बन मिले थे , वो अपने बन गए है ! जो कल तक थी कल्पनायें  वो सपने बन गए है ! आज जिंदगी को जीना सीखा है मेने इनसे ! हर गम को भुला देना सीखा है मेने इनसे ! बीते हुए लम्हात में भुला चूका हू ! नये ज़ज्बात अपने अन्दर जगा चूका हूँ ! अब चुनली है  मेने अपनी मंजिल , राह तय कर रहा हूँ ! कुछ बाकि है सफ़र मेरा , कुछ तय कर चूका हूँ ! -नरेन्द्र  लोधी