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Showing posts from May, 2020

Kya Tumhe Maloom Hai

क्या तुम्हें मालूम है हालात मेरे दिल के , तुम्हे पता है तुम्हारे जाने के बाद का आलम । तुमने सायद देखा नही होगा मेरा उदास चेहरा, तुम्हे वादा याद तो होगा, अब भी वो उम्मीद है कायम । कहा था तुमने कुछ नही बदलेगा, कुछ रस्में है बस निभानी है । तुम जैसे हो वैसे रहना अपनी हर एक बात कहते रहना।, कुछ फॉर्मेलिटीज है लाइफ में पूरी करने दे , कोनसी ज़िंदगी ऐंसे बितानी है । क्या तुमने ये सब झूठ कहा , और सच है तो तुम कब लौटोगे । तीन साल दो महीने पांच दिन गुजर गए , अब बोलो न तुम कब लौटोगे । क्या तुमने महसूस किया अपनी बढ़ती दूरी को , फोन उठा कर देखो बात बहुत कम होती है । तुमने सायद ध्यान दिया हो , तुम जब गुड नाईट कहदो अब ऐसी रात बहुत कम होती है । तुमसे जब मिलने की ख्वाहिश की , तुमने बिन सोचे इनकार किया । नया बहाना हर बार रहा , शर्तें सामने रखदी तुमने जब मेने कुछ इजहार किया । तुम इतने गहरे क्यों उत्तर गए उन किरदारों में , तुम तो बस यूं ही अभिनय करना चाहते थे । तुम्हे क्या हुआ ,कुछ भूल गए , तुम साथ मेरे जीना मरना चाहते थे । पूछो खुदसे से एक बार जरा , क्या अब भी याद तुम्हे में

Kya Tumhe Maloom Hai || love poem || Poetry by Narendra Lodhi || NARENDR...

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Befikre

एक बार फिर चलो बेफिक्र सी जिंदगी जी लें । क्लास में लंच और कैंटीन की चाय पी लें । चलो फिर उस बस को पकड़ें । दोस्तों के लिए ड्राइवर से झगड़ें । फिर पहले वाली फिक्र करें । हर बात में उनका जिक्र करें । फिर वो रेशु छोटी हो जाये । खुशबू पहले सी मोटी हो जाये । लम्बे बालों वाला जल होगा। अभिषेक का कब वो चाय पिलाने वाला कल होगा । ढके हुए चेहरे वाला , शिव फिर बस में नाचेगा । टीटू का वो सीधा - साधा वाला गाना बाजेगा । ढीली सी तबियत वाली दीपा आयेगी । याचु फिरसे आसिम की जिम जायगी । मोनी जल्दी कर सबको चलना है । तुझे मिस BMCT  भी  बनना है । अब ये काला कहाँ छूट गया । क्या इसका चस्मा फिरसे टूट गया । गोपाल याद है , हर बर्थ डे वहीं मनाना है । ढूंढो अपनी स्कूटी संबोधि भी तो जाना है । चलो फिर से 50 फुल्की वाली शर्त लगाते है । सलामतपुर के ठेले पे फिर ककड़ी खाते है । फिर पुराने   camera से फ़ोटो खीचेंगे । Sms वाली चैटिंग से दिन बीतेंगे। कुछ खींचा - तानी कर लेंगे हम। थोड़ी मस्ती थोड़ा लड़ लेंगे हम । फिर कुछ दर्द बांटे कुछ आँसू पीलें ।

Aaj mai khud se bahar aya hun || Poetry by Narendra Lodhi || NARENDRA L...

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हे परमेश्वर

मानव पे आयी है विपदा हे परमेश्वर अरज सुनो । हो अभेद्य जो इस विपदा से ऐसा कोई कवच बुनों ।। बूढ़े बालक नर नारी वो हर जन पर अभिशाप बना । बंदी बनी है मानवता और हर घर कारावास बना ।। हे जग पालक  हे  सृजनकर्ता अब संकट को दूर करो । तुम बनो राम या कृष्ण या नारायण का रूप धरो ।। एक अप्रकट अनजाने शत्रु से कैसे हम संग्राम करें । लड़ते मरते कितने और शबो से हम शमशान भरें।। भय की ज्वाला जलती मन में कब तुम इसे बुझाओगे । तपती आंखे देख रही है तुम रक्षक बन कब आओगे ।। हे - अनंत , हे - अनादि अब तो इस संकट का अंत करो । निर्भय हों हम , लो शरण हमे , कोई दिव्य प्रबंध करो ।। हे  जग पालक  हे  सृजनकर्ता अब संकट को दूर करो । तुम बनो राम या कृष्ण या नारायण का रूप धरो । निज निज वो विस्तार करे उसका अंत समझ न आता है । मनुज मनुज से भय खाये यही वो शत्रु चाहता है ।। इससे पहले और अधर्म बड़े , प्रभु धर्म पताका फेहराओ । इस वहती दूषित काली आंधी को तुम ही पूर्णता ठहराओ ।। व्याकुल भूखे बेघर लोगों को अब निष्कंटक मार्ग मिले । निकलें प्रलयंकर घोर अंधेरे से हमे नया प्रकाश मि