ZINDGI...



हर शख्स की एक अलग कहानी है !
कहीं  बचपन , कहीं बुढ़ापा और कहीं ये जवानी है !

क्या खूब है इस बदलती हुई दुनिया की तस्वीर ,
और क्या खूब इस वक़्त की रवानी है !

बदलती रही रंगत यहाँ हमारी ,
कैसे  गुजरा है  वक़्त और बदलती हुई कहानी है !

कोई हुआ दीवाना तो कोई यहाँ दीवानी है !
जिंदगी न जाने कैसे यहाँ बितानी है !

मेने देखी है जिंदगी भी किसी के नाम करके ,
पर वो  भी लगती झूठी कोई कहानी है !

न रुका कोई हम में सब वहता हुआ सा पानी है !
हम रहे किनारों की तरह और सब लगे मौज की रवानी है !

सोचा है आज मेने बीता है बचपन गोद में जिसकी ,
उसी के नाम ये मेरी ये जवानी है !
                                                           -नरेन्द्र लोधी

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